Rabbana Atina Hadith Ki Roshni Mein: रब्बना आतिना हदीस की रोशनी में
साबित ने हज़रत अनस (रज़ि०) से रिवायत की कि रसूलुल्लाह (सल्ल०) (दुआ फरमाते हुए ये) कहा करते थे: “ऐ हमारे रब! हमें दुनिया में भी अच्छाई दे और आख़िरत में भी अच्छाई दे और हमें जहन्नम के अज़ाब से बचा।
Rabbana Atina In Arabic: रब्बाना अतीना अरबी में:
رَبَّنَا آتِنَا فِي الدُّنْيَا حَسَنَةً وَ فِي الْآخِرَةِ حَسَنَةً وَقِنَا عَذَابَ النَّارِ
Rabbana Atina In Hindi: रब्बाना अतीना हिंदी में:
रब्बना आतिना फिद्दुनिया हसनतं वा फी आख़िरति हसनतं व क़िना अज़ाब अन-नार।
Rabbana Atina In English: रब्बाना अतीना अंग्रेजी में:
Rabbana Atina Fid Dunya Hasanatan Wa Fil Akhirati Hasanatan Waqinaa Adzaa Ban Naar
Rabbana Atina Tarjuma: रब्बना आतिना तर्जुमा
हे हमारे रब! हमें दुनिया में भी भलाई अता फरमा और आख़िरत में भी भलाई, और हमें दोज़ख़ से बचा ले।
Rabbana Atina Fid Dunya Hasanah Full Dua With Urdu: रब्बाना अतिना फ़िद दुनिया हसनाह पूरी दुआ उर्दू के साथ:
رے رب ہمیں دنیا میں نیکی دے اور آخرت میں بھی بھلائی عطا فر ما اور عذاب جہنم سے نجات دے۔
Rabbana Atina: रब्बाना अतीना
रब्बाना अतीना की दुआ कुरान की सूरह अल-बकरा (2:201) में आई है। यह एक बेहद मकबूल और बरकत वाली दुआ है जो दुनिया और आख़िरत दोनों की भलाई की तलब करती है। इस दुआ को हमारे नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अक्सर पढ़ा करते थे। तो हमें भी यह चाहिए कि हम अपने नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के इस अमल पर चलें।
Rabbana Atina Ki Fazilat: रब्बना आतिना की फज़ीलत
रब्बना आतिना की कई तरह की फ़ज़ीलतें हैं। इस दुआ से हम अल्लाह सुभानहु तआला से दुनिया में और आख़िरत में भलाई मांगते हैं और जहन्नम के अज़ाब से पनाह मांगते हैं। इस दुआ को रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने अक्सर अपनी दुआओं में शामिल किया है। यह दुआ हमारी दुनिया की ज़रूरतों के साथ-साथ आख़िरत की भी ख़ैर और नजात की तलाश करती है। इस दुआ के पढ़ने से इंसान को दुनिया की नेमतें मिलती हैं और आख़िरत में भी जन्नत की नेमतें हासिल होती हैं। यह दुआ इंसान को जहन्नम के अज़ाब से भी महफूज़ रखने की दरख़्वास्त करती है। इसलिए, मुसलमानों को चाहिए कि वे अपनी हर नमाज़ के बाद, दुआ में और ज़िंदगी के मुश्किल हालात में इस दुआ को अक्सर पढ़ते रहें ताकि अल्लाह तआला उनके लिए दुनिया और आख़िरत दोनों में ख़ैर और बरकत अता करे।
Rabbana Atina Ke Mutalliq Aham Sawal: रब्बना आतिना के मुतालिक अहम सवाल
1. रब्बना आतिना का क्या मतलब है?
“रब्बना आतिना” का मतलब है “ऐ हमारे रब, हमें अता फरमा।” ये कुरानी दुआ सूरह अल-बकराह में आती है (2:201) जिसमें अल्लाह से दुनिया और आखिरत में भलाई और जहन्नुम के अज़ाब से हिफाज़त की दुआ की जा रही है।
2. रब्बना आतिना दुआ किस मकाम पर पढ़ी जाती है?
ये दुआ अक्सर नमाज़ों के बाद या किसी मुश्किल वक़्त में अल्लाह से मदद की तलब के लिए पढ़ी जाती है।ये दुआ अल्लाह से दोजख को आसानी से बचने के लिए की जाती है इसे आखिरत और दुनिया दोनों में खैर के लिए पढ़ना मक़बूल है।
3. रब्बना आतिना की फज़ीलत क्या है?
इस दुआ की फज़ीलत ये है कि इसमें हम अल्लाह से दुनिया की भलाई के साथ-साथ आखिरत की भलाई भी मांगते हैं।और दोजख के अजाब से बचाने के लिए मांगी जाती है| ये दुआ दुनिया और दीन दोनों के लिए है।
4. रब्बना आतिना की कुरान में क्या अहमियत है?
ये दुआ कुरान-ए-पाक की सूरह अल-बकराह (2:201) में आई है और ये ऐसी दुआ है जिसमें एक मोमिन दुनिया और आखिरत की कामयाबी के लिए अल्लाह से दरख्वास्त करता है।
5. रब्बना आतिना को रोज़ाना पढ़ना क्यों ज़रूरी है?
रब्बना आतिना रोज़ाना पढ़ना इसलिए ज़रूरी है कि इसमें हम दुनिया और आखिरत की भलाई मांगते हैं। ये दुआ हर रोज़ की दुआओं में शामिल करना एक अच्छी आदत है जो अल्लाह का क़ुर्ब दिलाती है।और अल्लाह के रसूल मुहम्मद सल्लाही अलैहि वसल्लम इस दुआ को अक्सर पढ़ा करते थे|
6. क्या रब्बना आतिना के पढ़ने से दुनिया में भलाई मिलती है?
हाँ, ये दुआ अल्लाह से दुनिया में भलाई और आखिरत में कामयाबी के लिए की जाती है। अल्लाह अपने बंदों की दुआएं ज़रूर सुनता है और उनको उनके हक़ में बेहतरीन अता फरमाता है।
7. रब्बना आतिना का इस्तेमाल किस तरह होता है?
इस दुआ का इस्तेमाल अक्सर इबादत के वक़्त या किसी मुश्किल हालत में किया जाता है। मुसलमान इस दुआ को अपनी रोज़ाना की दुआओं में शामिल करते हैं ताकि दुनिया और आखिरत की भलाई हासिल हो सके।
8. रब्बना आतिना दुआ किसने सिखाई?
ये दुआ हमें कुरानी तालीम से मिली है। सूरह अल-बकराह में अल्लाह ने इस दुआ का ज़िक्र फरमाया है जो दुनिया और आखिरत में कामयाबी के लिए है।
9. क्या रब्बना आतिना किसी खास नमाज़ में पढ़ी जाती है?
रब्बना आतिना को कोई खास नमाज़ में पढ़ना लाज़मी नहीं, लेकिन इसे आप किसी भी नमाज़ के बाद या दुआ के वक़्त पढ़ सकते हैं, खास तौर पर जब अल्लाह से हिदायत और भलाई की तलब हो।