सजदा सहु क्या है ? / sajda sahu kya hai ?
मसला / Mas'ala
सजदा सहु को लेकर चंद हदीसे मुबारका \ Hadees Shareef
- हज़रत मुगीरा बिन शाअबा रज़िअल्लाहू अन्हु से मर्वी है के एक बार नबीये अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम दो रकत पढ़कर खड़े हो गए बैठे नही फिर सलाम के बाद सजदा सहु किया |
- हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसउद रज़िअल्लाहू अन्हु से मर्वी है के सरवरे दो आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने जोहर की नामाज पढाई तो आप ने सलाम के बाद सहु के दो सजदे किये |
- हज़रत इमरान बिन हसीन रज़िअल्लाहू अन्हु से मर्वी है के एक बार हुजुरे अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सहु के सजदे सलाम के बाद किये। इस हदीस को हज़रत इमरान के अलावा हज़रत आयेशा सिद्दीका रज़िअल्लाहू अन्हा , हज़रत अबू हुरौरह रज़िअल्लाहू अन्हु , हज़रत मुगीरा बिन सअबा रज़िअल्लाहू अन्हु और हज़रत साअद बिन वक्कास रज़िअल्लाहू अन्हु ने भी रिवायत किया है
- हज़रत सोबान रज़िअल्लाहू अन्हु से मर्वी है के रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया के सहु के लिए सलाम के बाद दो सजदा हैं
सजदा सहु कब वाजिब होता है / Sajda sahu kab waajib hota hai
नमाज़ के वाजिबात में से कोई वाजिब भूल कर छूट जाये मसलन फ़र्ज़ की पहले दो रकतों में सुरह फ़ातिहा भूल जाये या सुरह भूल जाये तो सजदा सहु वाजिब हो जायगा
किसी वाजिब को उसकी जगह से आगे या पीछे कर दे मसलन सुरह पहले पढ़े और उसके बाद सुरह फ़ातिहा पढ़े तो सजदा सहु वाजिब हो जायगा
किसी वाजिब की अदाएगी में एक रुक्न यानी तीन बार सुबहानल्लाह कहने की मिकदार बराबर वक़्त तक कुछ सोचते रहे तो सजदा सहु वाजिब हो जायगा
किसी वाजिब को दो बार अदा करने से सजदा सहु वाजिब हो जायगा
किसी वाजिब को बदल दे मसलन इमाम ज़ाहिरी नमाज़ में अहिस्ता और सिर्री में बुलंद आवाज़ से करात करे तो तो सजदा सहु वाजिब हो जायगा
नमाज़ के फर्जों में से किसी फ़र्ज़ को उसकी जगह से हटा कर बाद में अदा करे मसलन पहले सजदा बाद में रुकुह करे तो सजदा सहु वाजिब हो जायगा |
सजदा सहु का तरीका / Sajda sahu ka tarika
क़ायदा ए आखीरा में पूरी अत्ताहियात पढने के बाद दाहिनी तरफ सलाम फेरे उसके तुरंत बाद दो सजदे करे और कायदा में बैठे और दुबारा हस्बे दस्तूर अत्ताहियात और दरूद ए इब्राहीम पढ़े और बाद में दुआ पढ़ कर दोनों तरफ सलाम फेर दे |
मसला