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Salatul Hajat Ki Namaz Ka Tarika / सलातुल हाजत की नमाज़ का सही तरीका

जिसे पढ़ने के बाद हमारा रब हमारी इच्छाएं और जरूरतें पूरी फरमाता है इस दुनिया में सबसे रहीम और करीम हमारा रब ही है।

हमारा रब इस दुनिया में हम सभी के लिए ऐसे खास खास और शक्तिशाली सूरत आयत तथा दुआ पेश किया है जिसे पढ़कर लोग आज तरक्की की राह पर हैं।

आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से एक ऐसे ही फायदेमंद और रहमत भरी साथ ही साथ बरकत वाली के बारे में बताएंगे जिसे हम सभी लोग सलातुल हाजत के नाम से जानते हैं।


हम सभी को इसका नाम तो मालूम होता है लेकिन इससे जुड़ी कुछ बातें जैसे इसे सही पढ़ने का तरीका इसकी दुआ मांगने का तरीका तथा और भी ऐसी नहीं मालूम होती है।

जिसके कारण हम लोग थोड़ा अधूरा खुद में महसूस करते हैं तो आपके इस अधूरे सवाल का जवाब इस आर्टिकल में हम पूरा करने वाले हैं।

आपको पूरा बात और जानकारी समझने के लिए इस लेख को शुरुआत से लेकर अंतिम तक अच्छे तरीके से पढ़ना होगा इसे पढ़ने के बाद आप सलातुल हाजत से संबंधित सभी बातें जान जाएंगे।

Salatul Hajat Ki Dua

""ला इला ह इल्लाल लहुल हलिमुल करीम सुब्हानल्लाहि रब्बिल अर्शिल अज़ीम वल हम्दु लिल्ला हिल रब्बिल आलमिन. अस्अलू क मुजिबाती रहमति क व अजाइम मग्फिर ति क वल घनीमत मिन कुल्ली बिरर् व स्सलामत् मिन कुल्ली इस्मिन. ला तदअ ली जम्बन इल्ला गफर तहु व ला हम्मन इल्ला फर्रज तहु व ला हा ज तन ही यल क रीजन इल्ला क जै त हा या अर्हमर्राहिमिन।""


इस दुआ को पढ़ने से हमारा रब हमें हाजत से पूरा फरमाता है क्योंकि हाजत का माना इच्छा ही होता है, इसे दो रकअत सलातुल हाजत की नमाज़ पढ़ने के बाद पढ़ने से हमारी दुआ को रब्बे कायनात की बारगाह में कबूल होने का असर और भी ज्यादा बढ़ जाता है।

इस दुआ को हम और आप अपने रब से अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए पढ़ते हैं और हमारा रब इतना मेहरबान है कि वह हमारी इच्छाओं को पूरा भी करता है।

सलातुल हाजत की नमाज़ कैसे पढ़े?

सलातुल हाजत की नमाज़ भी नफल की नमाज जैसा ही होता है, तो इस सलातुल हाजत की नमाज़ भी हम नफल नमाज़ जैसा ही अदा करेंगे।
इस नमाज को अदा करने का सबसे बेहतरीन तरीका यह है कि दुरुस्त तरीके से गुस्ल करें फिर दुरुस्त तरीके से तथा इस्लामी एतबार से वजू अच्छे से करें क्योंकि वजू दुरुस्त तरीके से करने से नमाज और दुआ की कबूलियत होती है। आइये जानते हैं नमाज की नियत कैसे करना है।

 

Salatul Hajat Ki Namaz Ka Time

सलातुल हाजत की नमाज़‌ अदा करने का सबसे अच्छा टाइम ईशा की नमाज के बाद है आप इस नमाज़ को ईशा की नमाज खत्म होने के बाद अदा करें लेकिन यह हरगिज ना सोचें कि सलातुल हाजत की नमाज़‌ सिर्फ इसी वक्त अदा की जा सकती है।
 
यह इस नमाज़ को अदा करने का सबसे खास वक्त बताया गया है न कि सिर्फ इसी वक्त पर अदा करने का मुकर्रर किया गया है आप जब चाहे जैसे किसी भी चीज को हासिल करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है तो उसी वक्त पढ़ लें सिर्फ वक्त मकरूह को छोड़कर।
 

Salatul Hajat Ki Namaz Ki Niyat


नीयत की मैंने चार रकात नमाज ए हाजत की नफ्ल वास्ते अल्लाह तआला के रूख मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

नोट: अगर आप दो रकात की सलातुल हाजत की नमाज़ के लिए नियत कर रहे हैं तो ‘नीयत की मैंने दो रकात’ बोलें।
 

Salatul Hajat Ki Namaz Ka Tarika


सबसे पहले आपको इस बात का इल्म देते चलूं कि सलातुल हाजत की नमाज़ 2 रकात और 4 रकात की नियत से यानी दो तरीके से अदा की जाती है हमने यहां पर दोनों तरीकों से इस नमाज़ को पढ़ने का सही तरीका बताया है।

जिसे आप आसानी से पढ़ कर इसे समझ जाएंगे और अपनी सलातुल हाजत की नमाज अदा करके खुद का हाजत अपने रब अल्लाह तबारक व तआला से पुरी करा सकेंगे इंशाअल्लाह तआला हमारा रब करीम है।

Salatul Hajat Ki Namaz Ka Tarika – पहली रकात


  1. पहले सलातुल हाजत की नमाज़ की नियत करें।
  2. इसके बाद अल्लाहु अकबर कह कर हांथ बांध लें।
  3. अब नमाज की सना यानी सुब्हान क अल्लाहुम्मा पुरा पढ़ें।
  4. फिर तअव्वुज यानी अउजुबिल्लाह मिनश शैतानीर्रजीम पढ़ें।
  5. अब तस्मियह यानी बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहिम पढ़ें।
  6. इसके बाद सूरह फातिहा यानी अल्हम्दु शरीफ़ पुरा पढ़ें।
  7. सूरह फातिहा को पुरा पढ़ने के बाद आहिस्ते से आमिन कहें।
  8. इसके बाद आप 3 तीन मरतबा आयतुल कुर्सी पढ़ें।
  9. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं।
  10. रूकुअ में 3, 5,‌ या 7 बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़ें।
  11. अब समि अल्लाहु लिमन हमिदह और रब्बना लकल हम्द कहते हुए रूकुअ से उठें।
  12. इसके बाद तूरंत अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाएं।
  13. यहां भी 3, 5, या 7 बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
  14. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ से सर उठाएं।
  15. फिर तुरंत अल्लाहु अकबर कहते हुए दुसरी सज्दा करें।
  16. यहां भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
  17. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए दुसरी रकात के लिए खड़े हो जाएं।
 
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Salatul Hajat Ki Namaz Ka Tarika – दुसरी रकात

  1. यहां सबसे पहले तअव्वुज और तस्मियह पुरा पढ़ें।
  2. यानी यहां अउजुबिल्लाह मिनश शैतानीर्रजीम पढ़ें।
  3. इसके बाद बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहिम पढ़ें।
  4. अब यहां भी सूरह फातिहा यानी अल्हम्दु शरीफ़ पढ़ें।
  5. इसके बाद फिर यहां भी आहिस्ते से आमिन कहें।
  6. अब यहां आप सूरह इख्लास यानी कुल हु वल्लाहु शरीफ पढ़ें।
  7. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं।
  8. रूकुअ में कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़ें।
  9. अब समि अल्लाहु लिमन हमिदह और रब्बना लकल हम्द कहते हुए रूकुअ से सर उठाएं।
  10. फिर इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाएं।
  11. सज्दे में भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
  12. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे से सर उठाएं।
  13. फिर तुरंत अल्लाहु अकबर कहते हुए दुसरी सज्दा करें।
  14. यहां भी कम से कम तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
  15. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे से उठ कर बैठ जाएं।
  16. फिर तशह्हुद यानी अत्तहियात पढ़ें और कलिमें ला पर पहुंचे तो शहादत उंगली खड़ा करें।
  17. इसके बाद तुरंत इल्ला पर दाहिने हाथ की शहादत उंगली को गिरा दें।
  18. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए तीसरी रकात के लिए खड़ा हो जाएं।

Salatul Hajat Ki Namaz Ka Tarika – तीसरी रकात


  1. यहां भी सबसे पहले तअव्वुज और तस्मियह पढ़ें।
  2. इसके बाद सूरह फातिहा पढ़ें और आहिस्ते से आमिन कहें।
  3. इसके बाद यहां पर सूरह फलक यानी कुल अउजु बि रब्बिल फलक पुरा पढ़ें।
  4. फिर अल्लाहु अकबर कह कर रूकुअ में जाएं और तीन बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़ें।
  5. फिर समिअल्लाहु लिमन हमिदह और रब्बना लकल हम्द कहते हुए रूकुअ से सर उठाएं।
  6. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाएं और तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
  7. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे से उठें, फिर तुरंत अल्लाहु अकबर कहते हुए दुसरी सज्दा करें।
  8. दुसरी सज्दा में भी तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें और अल्लाहु अकबर कहते हुए चौथी रकात के लिए खड़े हो जाएं।

Salatul Hajat Ki Namaz Ka Tarika – चौथी रकात


  1. चौथी रकात में भी सबसे पहले तअव्वुज और तस्मियह पढ़ें।
  2. फिर सूरह फातिहा पढ़ें और आहिस्ते से आमिन कह कर सूरह नास पुरा पढ़ें।
  3. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए रूकुअ में जाएं और तीन बार सुब्हान रब्बियल अज़ीम पढ़ें।
  4. अब समि अल्लाहु लिमन हमिदह और रब्बना लकल हम्द कहते हुए रूकुअ से सर उठाएं।
  5. इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाएं और तीन बार सुब्हान रब्बियल अला पढ़ें।
  6. फिर अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे से उठें फिर तुरंत अल्लाहु अकबर कहते हुए दुसरी सज्दा करें।
  7. और यहां दुसरी सज्दा में भी सुब्हान रब्बियल अला कम से कम तीन मरतबा ज़रूर पढ़ें।
  8. अब अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे से उठ कर बैठ जाएं और तशह्हुद यानी अत्तहियात पढ़ें।
  9. अत्तहियात पढ़ते हुए जब कलिमें ला पर पहुंचे तो दाहिने हाथ की शहादत उंगली खड़ा करें।
  10. और तुरंत इल्ला पर गिरा भी दें और दुरूदे इब्राहिम फिर दुआ ए मासुरा पढ़ें।
  11. इसके बाद सलाम फेरें पहले दाहिने तरफ गर्दन घुमाते हुए अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहें।
  12. फिर अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह कहते हुए गर्दन को बाएं तरफ घुमाएं।
  13. यहां पर आपकी चार रकात की सलातुल हाजत की नमाज़ अदा हो गई यानी मुकम्मल हो गई।


आपको यह थोड़ा दुसरे नमाज़ के मुकाबले डिफिकल्ट जरूर लगा होगा क्योंकी जो इसमें आयतुल कुर्सी पढ़ने की इल्म यानी पहली रकात में आयतुल कुर्सी को सूरह फातिहा के बाद पढ़ने को कहा गया है।

लेकीन सलातुल हाजत की नमाज़ का अदा करने का दुरूस्त और सही तरीका यही है आप इसपे अमल करें जिसे आपको पुरा फजीलत और सवाब हासिल हो और साथ ही आपकी हाजत भी पूरी हो जाए।

अगर आप सलातुल हाजत की 2 रकात की नियत करके नमाज़ अदा करना चाहते हैं तो आप पहली रकात में सूरह फातिहा के बाद 3 बार आयतुल कुर्सी पढ़ें और दुसरी रकात में सूरह बकरह का आमन रसुलो से काफेरिन तक पढ़ें, बाकी सब रूकू और सज्दा बाकी नमाज़ की तरह ही करें।


इसके बाद सलातुल हाजत की दुआ पढ़ें फिर जो चाहें अपने हाजत के मुताबिक दुआ करें और हां दुआ में हद से आगे न बढ़े आप यहां पढ़ कर समझ लें दुआ मांगने का तरीका दिल से दुआ करें इंशाअल्लाह आपकी हाजत पुरी होगी।

सलातुल हाजत की नमाज़ पढ़ने के फायदे

सलातुल हाजत की नमाज सभी मुसलमान के लिए जरूरी है साथ ही साथ इसके पढ़ने के भी बहुत बेहतरीन फायदे हैं इस नमाज को पढ़ने के बाद इसकी रहमत तथा बरकत से आपके बिगड़े हुए काम भी बन जाएंगे।

यदि कोई खुदा का नेक बंदा अपने जीवन में कुछ हासिल करना चाहता है तो नेक और सच्चा दिल से खुदा की बारगाह में इस नमाज को पढ़ने के बाद इसकी दुआ करने के बाद अपना ख्वाहिश पूरी कर सकता है अल्लाह ताला अपने बंदे के हर दुआ को कुबूल करता है अपने बंदे को उसके नतीजे भी उसे देता है।

सलातुल हाजत की नमाज़ और दुआ जरूरत पूरा करने के लिए ही खुदा ने अपने बन्दों को दिया है, जो बंदा अपने मानसिक शक्ति और शारीरिक स्वास्थ्य भी चाहता है तो उसे चाहिए कि इस नमाज को पूरा करने के बाद तथा दुआ करने के बाद अपने रब से अपने जीवन का ख्वाहिशात मांगे।

सलातुल हाजत की नमाज़ पढ़ने के बाद सलातुल हाजत की दुआ करने से अल्लाह तबारक व ताला अपने बंदों के मुरादों को पूरा फरमाता है, सलातुल हाजत हमारी इच्छाओं के लिए अपने रब से भीक मांगने के लिए सरल लेकिन सबसे शक्तिशाली दुआ है इसे हमारे मजहब का दूसरा पिलर भी कहा जाता है, इससे पढ़ने से हमारा रब हमारी इच्छाओं को पूरा भी करता है, क्योंकि हमारा रब ही सबसे बड़ा रहीमो करीम है।

सलातुल हाजत की दुआ कैसे मांगे?


जब आप नमाज मुकम्मल कर ले तो अपने रब से अपने मन चाहा चीज को पाने के लिए कुछ इस प्रकार से दुआ करें।

सबसे पहले कम से कम 3 मर्तबा सूरह इखलास और दरूद शरीफ पढ़े इसके बाद फिर सलातुल हाजत की दुआ पढ़े।

इसके बाद आप अपने रब से इस तरीके से अपने लिए दुआ करें, ऐ अल्लाह रब्बे कायनात दोनों जहान के मालिक अपने बंदों को बख्शने वाला।

अपने बंदों पर निगाहें करम रखने वाला सभी को देने वाला क्योंकि सभी को तो तू ही देता है या रब मुझे भी दे जो जो आप मांगना चाहते हैं यहां पर वह शामिल कर ले।

इसके बाद आपको अल्लाह ताला से दुनिया के लिए भी दुआ करनी है क्योंकि अल्लाह वैसे बंदे को ज्यादा पसंद करता है जो बंदा दूसरों की भलाई चाहता है।

और करता है, इसमें आपको अपने दिल से यह आवाज निकालना चाहिए कि या रब अपने बंदों पर निगाहे करम फरमा सभी बन्दे को नेक मुराद को पूरा फरमा, अपने बंदे पर निगाहे करम फरमा, इसके बाद रब्बना आतिना पढ़े।

फिर सबसे आखरी वक्त में अपने रब पर कुरान की आयत और सूरत पढ़े, दरूद का तोहफा पेश करें, ऐसा करने से आपका दुआ हम सभी के मालिक अल्लाह तबारक व ताला जरूर कबूल करेंगे और आपकी मांगे मुरादे पूरा करेंगे आमीन।

अल्लाह तबारक व ताला अपने वैसे बंदे का दुआ जल्दी कुबूल फरमाता है जो बंदा अपने रब का हर वक्त शुक्रिया अदा करता है तथा हर वक्त अपने रब की ख्याल अपने दिल में बनाए रखता है।

हमारा रब वैसे बंदे से और भी मोहब्बत करता है जो बंदा नेक राह पर चलता है और लोगों को बुरे राहों पर चलने से बचाता है तथा कभी झूठ नहीं बोलता है ऐसा बंदा हमारा रब को बहुत पसंद है।

सलातुल हाजत की नमाज कब पढ़ना चाहिए

हमें कई सारे किताबों में देखने के बाद यह मालूम हुआ कि सलातुल हाजत की नमाज़ पढ़ने का कोई भी समय का जिक्र नहीं किया गया है।

लेकिन हां इतना बताया गया है कि इस नमाज से आप बेहतरीन नतीजा पाने के लिए इसे रात के तीसरी हिस्से यानी वित्र के नमाज़ के बाद पढ़े।

जब आप किसी भी चीज हासिल करने जा रहे हैं, लेकिन वह थोड़ा हासिल करने में मुश्किल लग रहा है ऐसे में हम सभी का रब हमें मुश्किल चीज हासिल करने में मदद करेगा।

ऐसे हालात में भी हमें चाहिए कि कम से कम 2 रकअत सलातुल हाजत की नमाज़ पढ़कर अपने घर से निकले।

एक बात को हमेशा ध्यान में रखें कि इस नमाज को यानि सलातुल हाजत की नमाज़ ऐसे वक्त पर ना पढ़े जब सूरज ढलने वाली हो या फिर फज्र की नमाज के बाद ना पढ़े।

इस बात को भी हमें ध्यान रखना होगा कि सलातुल हाजत की नमाज़ दोपहर के समय में भी नहीं पढ़ा जाता है।

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