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Shab E Barat Ki 6 Rakat Nafil Namaz Ka Tarika / शबे बरात की 6 रकत नफिल नमाज़ का तरीक़ा

शबे बारात में जो यह अमल करेगा, इंशाअल्लाह साल भर जादू से महफूज रहेगा...

Saal bhar Jadu Se Hifazat Ke liye Shabe Barat Ka Amal:

*हकीम उल उम्मत मुफ्ती अहमद यार खान नईमी رحمۃ اللّٰہ علیہ*
*फरमाते हैं*

कि इस रात (शबे बारात) में 7 पत्ते बेर के लेकर पानी में डालकर गर्म कर ले जब पानी नहाने के लायक हो जाए तो इस पानी से गुस्ल कर ले उसके बाद नमाजे मगरिब अदा करें इंशाल्लाह पूरे साल भर जादू के असर से महफूज रहेगा 

 

Shab E Barat Ki 6 Rakat Nafil Namaz Ka Tarika / शबे बरात की 6 रकत नफिल नमाज़ का तरीक़ा 

 

शबे बरात की 6 रकात नफ्ल नमाज का सही तरीका जानेंगे इस नमाज़ को हम सब शबे बरात की रात मगरिब की नमाज अदा करने के बाद पढ़ते हैं जो बहुत ही रहमत व बरकत भरी नमाज है।

आज इसी नमाज को अदा करने का सही और दुरूस्त तरीका आप जानेंगे जिसे आप आसानी से शबे बरात की 6 रकात नफ्ल नमाज अदा कर सकेंगे, इसीलिए आप इस पैग़ाम को ध्यान से पुरा आखिर तक पढ़ें।

शबे बरात की 6 रकात नफ्ल नमाज भी आप बाकी नफ्ल नमाज की तरह ही पढ़ें 3 बार में 2-2 रकात करके पुरा 6 रकात नमाज मुकम्मल करें लेकीन इससे पहले कुछ नियत और दुआ करनी है जो हम आप को नीचे बताए हैं।

 

पहली 2 रकात नफ्ल नमाज 

सबसे पहले 2 रकात नमाज शुरू करने से पहले अपने रब से अर्ज करें कि ऐ अल्लाह इन दो रकात की बरकत से मुझे उम्र दराज और खैरो बरकत अता फरमा इसके बाद 2 रकात अदा करें।

जब 2 रकात मुकम्मल हो जाए तो बैठ कर सूरह यासीन शरीफ एक बार और 21 बार सूरह इखलास फिर एक दुआ ए निस्फ शाबान पढ़ें यह दुरूस्त है।

दुसरी 2 रकात नफ्ल नमाज

इसके बाद दो रकात पढ़ने से पहले यह अर्ज़ करें कि ऐ अल्लाह इन दो रकात की बरकत से हर तरह की बला से हिफाजत फरमा इसके बाद 2 रकात नफ्ल नमाज पढ़ें।

यहां भी जब दो रकात नमाज मुकम्मल हो जाए तो बैठ कर 1 बार सूरह यासीन शरीफ 21 बार सूरह इखलास और एक बार दुआ ए निस्फ शाबान पढ़ें।

तीसरी 2 रकात नफ्ल नमाज

यहां पर नमाज शुरू करने से पहले अपने रब से यह अर्ज़ करें कि ऐ मेरे अल्लाह इन 2 रकात नमाज की बरकत से मुझे सिर्फ अपना मोहताज रख गैरों की मोहताजी से बचा।

इसके बाद यहां भी नमाज मुकम्मल करने के बाद सूरह यासीन शरीफ एक बार और 21 बार सूरह इखलास और एक बार दुआ ए निस्फ शाबान पढ़ें।

इस तरह से नमाज अदा करने पर आपने जाना ही की हर 2 रकात के बाद 1 एक बार सूरह यासीन शरीफ पढ़ना है, फिर 21 मरतबा सूरह इखलास यानी कुल हु अल्लाहु शरीफ पढ़ना होगा और एक बार दुआ ए निस्फ शाबान भी पढ़ना है।

आप यहां पर ध्यान दें कि इस 6 रकात नमाज को 2 – 2 रकात की नियत से 3 बार में पुरा 6 रकात मुकम्मल करना है इसीलिए आप यहां इस तरह से नियत करें।

नियत की मैने 2 रकात नमाज शबे बरात की नफ्ल वास्ते अल्लाह तआला के मूंह मेरा काअबा शरीफ की तरफ अल्लाहु अकबर।

आप इसी तरह 2 – 2 रकात की नियत कर के पुरा 6 रकात 3 सलाम में मुकम्मल करें और हर दो रकात के बाद 1 बार सूरह यासीन शरीफ 21 बार सूरह इखलास और 1 बार दुआ ए निस्फ ज़रूर पढ़ें।

अगर आप 2 रकात नफ्ल नमाज का तरीका भी जानना चाहते हैं तो आप यहां पर 2 रकात नफ्ल नमाज पढ़ने का तरीका पर क्लिक करके जान लें।

अगर आप दुआ ए निस्फ हिंदी में पढ़ना चाहते हैं तो ब्लू टेक्स्ट पे क्लिक करके पढ़ लें, और सूरह यासीन शरीफ हिंदी में पढ़ना चाहते हैं तो भी ब्लू टेक्स्ट पे क्लिक करके पढ़ लें और सूरह इखलास भी पढ़ लें।

Surah yaseen Shareef in hindi english arabic | सूरह यासीन शरीफ़ हिन्दी में पढ़ें

 

Surah Ikhlas ( Qul Huwal Lah )

दुआ ए निस्फ शाबान

बिस्मिल्लाह हिर्रहमान निर्रहीम

अलाहुम्मा या ज़ल् मन्नि वला यु-मन्नु अ़लैहि ०

या ज़ल्-जलालि वल् इक्रामि 0 या ज़त्तोलि वल् इन्अ़ामि ०

ला इलाहा इला अन्त ज़ह्-रल्लाजी-न ०

वजारलमुसत-जीरीना व अमा-न-अलखाइफ़ीना 0

अल्लाहुम्म इन् कुन्त क-तब् तनी

इन्द-क फ़ी उम्मिल् किताबि शक़िय्यन् औ मह्रू-मन्

औ मत्रु-दन् औ मु-क़त्त-रन् अ़लय्य फ़िर्रिजि़्क 0

फ़म्हु अल्लाहुम्म बि फ़जा़लि-क शक़ावती व

हिरमानी व तर्दी वक्तिता-र रिज़क़ी 0

व-अस्बित्नी इन्द-क फ़ी उम्मिल् किताबि

सई-दम्मरजू-कम मुवफ्फिकल लिल्ख़ैराति 0

फ इन्नका कुल्ता व कौलु-कल् हक़्कु 0

फी किताबि-कल् मु-नज़्ज़लि 0

अला लिसानि नबीय्यि-कल् मुर्-सलि 0

यम्हुल्लाहु मा यशाउ वयुस्बितु व इन्दहू उम्मुल किताबि 0

इलाही बित्तजल्लि यल् आज़मि 0

फ़ी लै-लतिन्निस्फि मिन शह्रि शअबा-नल् मुकर्रमि अल्लती

युफ़ रकु फ़ीहा कुल्लु अम्रिन हकीमिंव व युब्रमु 0

अन् तक्शि-फ़ अ़न्ना मिनल् बलाइ वल् बल्वाई मा नअ्-लमु

वमा ला नअलमु वमा अन्ता बिही आलमु 0

इन्नका अन्तल अअज़्जुल अक-रमु 0

वसल्ललाहो तअ़ाला अ़ला सय्यिदिना मुहम्मदिव

व अ़ला आलिही व सहबिही व सल्लम 0

वल हम्दु लिल्लाहि रब्बिल्  अ़ालमीन 0

English Main

Allahumma Ya Jal Manni Valaa Yumannu Alaihi .
Ya Zal-jalali Val Iqrami. Ya Zattoli Val In-aami .
La-ilaha Ila Ant Zah-Rallajeen.
Va JaaralMusat-Jeereena V Amaa-n Al-Khaifeena .
Allahumma Inn Qunt Katab Tani Indak Fee Ummil Kitabi Shaqiyyan Ou Mahu-man Ou Matru-dan Ou Muqatt-ran Alayy Firrizki .
Famhu Allahumma Bi Fazlik Shaqaavati Va Hirmanee Va Tardee Vaktitar Rizkee.
Va Asbitnee Indak Fee Ummil Kitabi Sai-Dammarzoo Kam Muvaffikal LilKhairati.
F Innka kulta Va Kaoulu-Kal Haqku.
Fee Kitabi-Kal Munazzali.
Alaa Lisani Nabeeyyi Kal mursali.
Yamhullahu Maa Yashau Vayusbitu Va Indahu Ummul Kitabi.
Ilahee Bittjalli Yal Aazmi.
Fee Lai-Latinnisfi Min Shahi Shabanal Mukarrami Allatee Yuf Raku Feeha Kullu Amrin Haqeemiv Va Yubrmu.
Antaqshi-f Anna Minal Balai Val Balwai Maa Nalamu
Vamaa Laa Nalamu Vamaa Antaa Bihee Aalamu.
Innka Antal Aazjul Akramu.
Wa Sallallaho Ta’ala Alaa Sayyidina Muhammdiv Wa Alaa Aalihi Wa Ashabihi Wa Sallam.
Valhamdu Lillahi Rabbil Aalmeen.

Arbic Main 

«اللَّهُمَّ يَا ذَا الْمَنِّ وَلَا يُمَنُّ عَلَيْهِ، يَا ذَا الْجَلَالِ وَالإِكْرَامِ، يَا ذَا الطَّوْلِ وَالإِنْعَامِ. لَا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ ظَهْرَ اللَّاجِئينَ، وَجَارَ الْمُسْتَجِيرِينَ، وَأَمَانَ الْخَائِفِينَ. اللَّهُمَّ إِنْ كُنْتَ كَتَبْتَنِي عِنْدَكَ فِي أُمِّ الْكِتَابِ شَقِيًّا أَوْ مَحْرُومًا أَوْ مَطْرُودًا أَوْ مُقَتَّرًا عَلَيَّ فِي الرِّزْقِ، فَامْحُ اللَّهُمَّ بِفَضْلِكَ شَقَاوَتِي وَحِرْمَانِي وَطَرْدِي وَإِقْتَارَ رِزْقِي، وَأَثْبِتْنِي عِنْدَكَ فِي أُمِّ الْكِتَابِ سَعِيدًا مَرْزُوقًا مُوَفَّقًا لِلْخَيْرَاتِ، فَإِنَّكَ قُلْتَ وَقَوْلُكَ الْحَقُّ فِي كِتَابِكَ الْمُنَزَّلِ عَلَى لِسَانِ نَبِيِّكَ الْمُرْسَلِ: ﴿يَمْحُو اللهُ مَا يَشَاءُ وَيُثْبِتُ وَعِنْدَهُ أُمُّ الْكِتَابِ﴾، إِلهِي بِالتَّجَلِّي الْأَعْظَمِ فِي لَيْلَةِ النِّصْفِ مِنْ شَهْرِ شَعْبَانَ الْمُكَرَّمِ، الَّتِي يُفْرَقُ فِيهَا كُلُّ أَمْرٍ حَكِيمٍ وَيُبْرَمُ، أَنْ تَكْشِفَ عَنَّا مِنَ الْبَلَاءِ مَا نَعْلَمُ وَمَا لَا نَعْلَمُ وَمَا أَنْتَ بِهِ أَعْلَمُ، إِنَّكَ أَنْتَ الْأَعَزُّ الْأَكْرَمُ. وَصَلَّى اللهُ عَلَى سَيِّدِنَا مُحَمَّدٍ النَّبِيِّ الأُمِّيِّ وَعَلَى آلِهِ وَصَحْبِهِ وَسَلَّمَ”.

 

दुआ ए निस्फ शाबान न आए तो ऐसे दुआ करें।

अगर दुआ ए निस्फ अरबी में पढ़ने में आसानी महसूस नहीं हो या लफ्ज़ों का सही अदाएगी न हो सके तो आप इस दुआ का तरजूमा इस तरह पढ़ें।

ऐ मेरे अल्लाह तू ही सब पर एहसान करने वाला है और तुझ पर कोई एहसान नहीं कर सकता ऐ बुजुर्गी और मेहरबानी रखने वाले और ऐ बख्शिश का  इनाम करने वाले तेरे सिवा कोई माबूद नहीं तू ही गिरतों को थामने वाला है बेपनाहों को पनाह देने वाला है और परेशान हालों का सहारा है।

ऐ अल्लाह अगर तूने मुझे पा उम्मुल किताब में भटका हुआ या महरूम या कम नसीब लिख दिया है तो ऐ अल्लाह अपने फज्ल से मेरी खवारी बद बख्ती रांदगी और रोज़ी की कमी को मिटा दे और अपने उम्मूल किताब में मुझे खुश नसीब वसीअ रिज्क और नेक कर दे।

बेशक तेरा यह कहना तेरी किताब में जो तेरे नबी सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम के जरिए हमें पहुंची है सच है कि अल्लाह जो चाहता है बना देता है और उसी के पास उममुल किताब है ऐ खुदा तजल्ली आज़म का सदका इस निस्फ शाबान मुकर्रम की रात में जिसमें तमाम चीजों की तकसीम व निफाज़ होता है।

मेरी बलाओं को दूर कर ख्वाह मैं इन को जानता हूं या न जानता हूं और जिनसे तू वाकिफ है। बेशक तू ही सबसे बरतर और बढ़ कर एहसान करने वाला है अल्लाह की रहमत व सलामती हो हमारे सरदार मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम पर और उनकी आल व औलाद‌ और सहाबा पर आमीन।

शबे बरात क्या है ? | Shab e Barat | hindi Aur English

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