ya ameer-ul-momineen
ya ameer-ul-momineen
'ali 'ali 'ali 'ali 'ali 'ali 'ali
'ali 'ali 'ali 'ali 'ali 'ali 'ali
jo sher-e-KHuda, shaan-e-nabi, shaah-e-wali hai
wo mera 'ali, mera 'ali, mera 'ali hai
wo mera 'ali hai, wo mera 'ali hai
wo mera 'ali, mera 'ali, mera 'ali hai
shaah-e-mardaa.n, sher-e-yazdaa.n, quwwat-e-parwardigaar
laa-fataa illa 'ali, laa-saif illa zulfiqaar
duniya-e-wilaayat ki jise shaahi mili hai
jis ke dar-e-'aali pe jabee.n sab ki jhuki hai
wo jis ki sahaaba me.n bahut shaan ba.Di hai
wo mera 'ali, mera 'ali, mera 'ali hai
wo mera 'ali hai, wo mera 'ali hai
wo mera 'ali, mera 'ali, mera 'ali hai
jo muflis-o-laachaar ko deta hai sahaara
chamkaata hai jo sab ke muqaddar ka sitaara
har ek bala jis ke waseele se Tali hai
wo mera 'ali, mera 'ali, mera 'ali hai
wo mera 'ali hai, wo mera 'ali hai
wo mera 'ali, mera 'ali, mera 'ali hai
wo jis ke liye shaah ne sooraj ko phiraaya
wo jis ne diya 'ishq-e-muhammad ka jalaaya
wo jis ki sana KHud mere sarkaar ne ki hai
wo mera 'ali, mera 'ali, mera 'ali hai
wo mera 'ali hai, wo mera 'ali hai
wo mera 'ali, mera 'ali, mera 'ali hai
shaah-e-mardaa.n, sher-e-yazdaa.n, quwwat-e-parwardigaar
laa-fataa illa 'ali, laa-saif illa zulfiqaar
har ek taraf jis ki wilaayat ka hai charcha
abdaal-o-wali, Gaus-o-qutab jis ke hai.n shaida
wo jis ke dar-e-paak pe rif'at bhi jhuki hai
wo mera 'ali, mera 'ali, mera 'ali hai
wo mera 'ali hai, wo mera 'ali hai
wo mera 'ali, mera 'ali, mera 'ali hai
ik aan me.n darwaaza-e-KHaibar ko ukhaa.Da
ik waar me.n hi jis ne hai marhab ko pachha.Da
jis zaat ki kaunain me.n ik dhoom machi hai
wo mera 'ali, mera 'ali, mera 'ali hai
wo mera 'ali hai, wo mera 'ali hai
wo mera 'ali, mera 'ali, mera 'ali hai
'ali 'ali 'ali 'ali 'ali 'ali 'ali
'ali 'ali 'ali 'ali 'ali 'ali 'ali
ummat ka nigahbaan jise rab ne banaaya
sarkaar ne bistar pe jise apne sulaaya
jis zaat ka qur.aan me.n bhi zikr-e-jali hai
wo mera 'ali, mera 'ali, mera 'ali hai
wo mera 'ali hai, wo mera 'ali hai
wo mera 'ali, mera 'ali, mera 'ali hai
jo pal me.n faqeero.n ko banaata hai shahanshah
jannat ki tarah, Saif-e-hazee n jis ki hai dargaah
hasnain ka baba hai jo daamaad-e-nabi hai
wo mera 'ali, mera 'ali, mera 'ali hai
wo mera 'ali hai, wo mera 'ali hai
wo mera 'ali, mera 'ali, mera 'ali hai
या अमीर-उल-मोमिनीन
या अमीर-उल-मोमिनीन
'अली 'अली 'अली 'अली 'अली 'अली 'अली
'अली 'अली 'अली 'अली 'अली 'अली 'अली
जो शेर-ए-ख़ुदा, शान-ए-नबी, शाह-ए-वली है
वो मेरा 'अली, मेरा 'अली, मेरा 'अली है
वो मेरा 'अली है, वो मेरा 'अली है
वो मेरा 'अली, मेरा 'अली, मेरा 'अली है
शाह-ए-मर्दां, शेर-ए-यज़्दाँ, क़ुव्वत-ए-परवरदिगार
ला-फ़ता इल्ला 'अली, ला-सैफ़ इल्ला ज़ुल्फ़िक़ार
दुनिया-ए-विलायत की जिसे शाही मिली है
जिस के दर-ए-'आली पे जबीं सब की झुकी है
वो जिस की सहाबा में बहुत शान बड़ी है
वो मेरा 'अली, मेरा 'अली, मेरा 'अली है
वो मेरा 'अली है, वो मेरा 'अली है
वो मेरा 'अली, मेरा 'अली, मेरा 'अली है
जो मुफ़्लिस-ओ-लाचार को देता है सहारा
चमकाता है जो सब के मुक़द्दर का सितारा
हर एक बला जिस के वसीले से टली है
वो मेरा 'अली, मेरा 'अली, मेरा 'अली है
वो मेरा 'अली है, वो मेरा 'अली है
वो मेरा 'अली, मेरा 'अली, मेरा 'अली है
वो जिस के लिए शाह ने सूरज को फिराया
वो जिस ने दिया 'इश्क़-ए-मुहम्मद का जलाया
वो जिस की सना ख़ुद मेरे सरकार ने की है
वो मेरा 'अली, मेरा 'अली, मेरा 'अली है
वो मेरा 'अली है, वो मेरा 'अली है
वो मेरा 'अली, मेरा 'अली, मेरा 'अली है
शाह-ए-मर्दां, शेर-ए-यज़्दाँ, क़ुव्वत-ए-परवरदिगार
ला-फ़ता इल्ला 'अली, ला-सैफ़ इल्ला ज़ुल्फ़िक़ार
हर एक तरफ़ जिस की विलायत का है चर्चा
अब्दाल-ओ-वली, ग़ौस-ओ-क़ुतब जिस के हैं शैदा
वो जिस के दर-ए-पाक पे रिफ़'अत भी झुकी है
वो मेरा 'अली, मेरा 'अली, मेरा 'अली है
वो मेरा 'अली है, वो मेरा 'अली है
वो मेरा 'अली, मेरा 'अली, मेरा 'अली है
इक आन में दरवाज़ा-ए-ख़ैबर को उखाड़ा
इक वार में ही जिस ने है मरहब को पछाड़ा
जिस ज़ात की कौनैन में इक धूम मची है
वो मेरा 'अली, मेरा 'अली, मेरा 'अली है
वो मेरा 'अली है, वो मेरा 'अली है
वो मेरा 'अली, मेरा 'अली, मेरा 'अली है
'अली 'अली 'अली 'अली 'अली 'अली 'अली
'अली 'अली 'अली 'अली 'अली 'अली 'अली
उम्मत का निगहबान जिसे रब ने बनाया
सरकार ने बिस्तर पे जिसे अपने सुलाया
जिस ज़ात का क़ुरआन में भी ज़िक्र-ए-जली है
वो मेरा 'अली, मेरा 'अली, मेरा 'अली है
वो मेरा 'अली है, वो मेरा 'अली है
वो मेरा 'अली, मेरा 'अली, मेरा 'अली है
जो पल में फ़क़ीरों को बनाता है शहंशाह
जन्नत की तरह, सैफ़-ए-हज़ीं ! जिस की है दरगाह
हसनैन का बाबा है जो दामाद-ए-नबी है
वो मेरा 'अली, मेरा 'अली, मेरा 'अली है
वो मेरा 'अली है, वो मेरा 'अली है
वो मेरा 'अली, मेरा 'अली, मेरा 'अली है