शह-सवार-ए-कर्बला, शह-सवार-ए-कर्बला
अस्सलाम - अस्सलाम या इमाम आली मक़ाम
अस्सलाम - अस्सलाम या इमाम आली मक़ाम
शह-सवार-ए-कर्बला की शह-सवारी को सलाम
नेज़े पर क़ुरआन पढ़ने वाले कारी को सलाम
अस्सलाम - अस्सलाम या इमाम आली मक़ाम
अस्सलाम - अस्सलाम या इमाम आली मक़ाम
रात-दिन बिछड़े हुओं की याद में रहना खड़े
ऐ हज़ीं सुब्हों ! तुम्हारी इंतिज़ारी को सलाम
अस्सलाम - अस्सलाम या इमाम आली मक़ाम
अस्सलाम - अस्सलाम या इमाम आली मक़ाम
घर का घर सब लुट गया लेकिन निगाह उट्ठी नहीं
सय्यिदा ज़ैनब ! तुम्हारी पर्दा-दारी को सलाम
अस्सलाम - अस्सलाम या इमाम आली मक़ाम
अस्सलाम - अस्सलाम या इमाम आली मक़ाम
मुस्कुराके पेश तेग़ों के किया रंगीं शबाब
अकबर-ओ-क़ासिम ! तुम्हारी जाँ-निसारी को सलाम
अस्सलाम - अस्सलाम या इमाम आली मक़ाम
अस्सलाम - अस्सलाम या इमाम आली मक़ाम
काँप उट्ठा है अर्श भी और आसमां थर्रा गया
असग़र-ए-मज़लूम ! तेरी बे-क़रारी को सलाम
अस्सलाम - अस्सलाम या इमाम आली मक़ाम
अस्सलाम - अस्सलाम या इमाम आली मक़ाम
पी के साइम झूमता था जिस को कर्बल का शहीद
वादा-ए-इश्क़-ए-नबी ! तेरी ख़ुमारी को सलाम
अस्सलाम - अस्सलाम या इमाम आली मक़ाम
अस्सलाम - अस्सलाम या इमाम आली मक़ाम
शह-सवार-ए-कर्बला की शह-सवारी को सलाम
नेज़े पर क़ुरआन पढ़ने वाले कारी को सलाम
अस्सलाम - अस्सलाम या इमाम आली मक़ाम
अस्सलाम - अस्सलाम या इमाम आली मक़ाम
शायर:
साइम चिश्ती
नातख्वां:
अल्लामा हाफ़िज़ बिलाल क़ादरी