Us Rabbe Do aalam ki ata sab ke liye hai
Ye Chand ye sooraj ye ziya sab ke liye hai
Mehdood nahi hai ye kisi ek bashar tak
Ye phool ye khushbu ye fiza sab ke liye hai
Us Rabb e Do alam ki ata sab ke liye hai
Wo kaun hai juthlaye jo is shan e karam ko
Allah ki rahmat ki ghata sab ke liye hai
Us Rabb e Do alam ki ata sab ke liye hai
Jo zarre ko khurshid bana deti hai pal me
Us ki wo mohabbat ki ada sab ke liye hai
Us Rabb e Do alam ki ata sab ke liye hai
Jo phool khila deti hai pathreeli zamee me
Savan ki bhi purkaif hawa sab ke liye hai
Us Rabb e Do alam ki ata sab ke liye hai
उस रब्बे दो आलम की अत़ा सब के लिए है
ये चांद ये सूरज ये ज़िया सब के लिए है
महदूद नहीं है ये किसी एक बशर तक
ये फूल ये खुशबू ये फ़िजा सब के लिए है
उस रब्बे दो आलम की अत़ा सब के लिए है
वो कौन है झुटलाये जो इस शान ए करम को
अल्लाह की रह़मत की घटा सब के लिए है
उस रब्बे दो आलम की अत़ा सब के लिए है
जो ज़र्रे को खुर्शीद बना देती है पल में
उसकी वो मोह़ब्बत की अदा सब के लिए है
उस रब्बे दो आलम की अत़ा सब के लिए है
जो फूल खिला देती है पथरीली ज़मीं में
सावन की भी पुरकैफ़ हवा सब के लिए है
उस रब्बे दो आलम की अत़ा सब के लिए है