ऐ रसूले-अमीं, ख़ातमल-मुर्सलींतुझ सा कोई नहीं, तुझ सा कोई नहींहै अक़ीदा ये अपना ब-सिद्क़ो-यक़ींतुझ सा कोई नहीं, तुझ सा कोई नहीं
Main To Ummati Hun, Ai Shaah-e-Umam !
इलाही तेरी चौखट पर भिकारी बन के आया हूँ / Ilahi Teri Chaukhat Par Bhikari Ban Ke Aaya Hoon | Ilahi Teri Chokhat Par Bhikari Ban Ke Aaya Hoon
वो नबियों में रहमत लक़ब पाने वाला / Wo Nabiyon Mein Rehmat Laqab Pane Wala (All Versions)
मैं क्या हूँ हर कोई शैदा है आला हज़रत का | जिधर भी देखिए जल्वा है आला हज़रत का / Main Kya Hun Har Koi Shaida Hai Ala Hazrat Ka | Jidhar Bhi Dekhiye Jalwa Hai Ala Hazrat Ka
लड़के के लिए दो बकरे या बकरियों की बलि दी जाती हैलड़की के लिए एक बकरे या बकरी की बलि दी जाती हैजानवर को तीन हिस्सों में बांटा जाता हैएक हिस्सा गरीबों को दान किया जाता हैदूसरा हिस्सा रिश्तेदारों और दोस्तों में बांटा जाता हैतीसरा हिस्सा खुद के लिए रखा जाता हैगोमांस को गरीबों, रिश्तेदारों और दोस्तों को पकाया जाता है या दावत में परोसा जाता है
aaj dulha bana shaah ahmad razashaah ahmad raza, shaah ahmad razagulshan-e-pur-ziya shaah ahmad razabulbul-e-KHush-nawa shaah ahmad razadoodh ka doodh, paani ka paani kiyakis ne tere siwa shaah ahmad raza
मौला या स़ल्ली व सल्लिम दाइमन अबदनअ़ला ह़बीबिक ख़ैरिल-ख़ल्क़ि कुल्लिहिमिमुह़म्मदुन सय्यिदुल-कौनैनी वस्सक़लयनिवल्फरीक़यनि मिन उ़र्बि-व्व-मिन अ़जमी
शह-सवार-ए-कर्बला, शह-सवार-ए-कर्बलाअस्सलाम - अस्सलाम या इमाम आली मक़ामअस्सलाम - अस्सलाम या इमाम आली मक़ाम
आक़ा ! ले लो सलाम अब हमारासबा ! तू मदीने जा के कहना ख़ुदारा !ग़म से हैं टूटे हुए, इस्याँ में डूबे हुएकर दो करम या नबी ! हैं हाथ फैले हुएरोज़-ए-महशर उम्मती का आप ही सहारा
ए हबीब ! अहमद-ए-मुज्तबा ! दिल-ए-मुब्तला का सलाम लोजो वफ़ा की राह में खो गया, उसी गुम-शुदा का सलाम लोमैं तलब से बाज़ न आऊँगा, तू करम का हाथ बढ़ाए जाजो तेरे करम से है आश्ना, उसी आश्ना का सलाम लो
ए शहंशाह-ए-मदीना ! अस्स़लातु वस्सलामज़ीनत-ए-अर्श-ए-मुअ'ल्ला ! अस्स़लातु वस्सलाम'रब्बी ह़बली उम्मती' कहते हुए पैदा हुएहक़ ने फ़रमाया के बख़्शा, अस्स़लातु वस्सलाम













