Dil haaye ! gunaahon se bezaar nahin hota
Maghloob Shaha ! Nafse Badkaar nahin hota
Go Laakh karun koshish Islaah nahin hoti
Paakizaa gunahon se qirdaar nahin hota
Gunahon ki nahin jaati hai aadat Ya Rasulallah !
Tumhi ab kuchh karo Maahe Risalat Ya Rasulallah !
Mein bachna chaahtaa hun haaye fir bhi bach nahin paata
Gunahon ki padhi hai Aesi aadat Ya Rasulallah!
Lagaa takiya gunaahon ka padha Din Raat sotaa hun
Mujhe ab khwaabe Gaflat se jagaado Ya Rasulallah !
Ye saans ki maala ab bas tootne waali hai
Dil Aah ! magar ab bhi bedaar nahin hota
Koshishein to ki bahot Magar rahe nakaam ham
Aap chahein to abhi beda hamaraa paar ho
Aye Rabb ke Habeeb ! Aao , Aye Mere Tabeeb ! Aao
Achha ye gunaahon ka beemar nahin hota
Aaqa ka gada ho kar Attar Tu gabraaye
Gabraaye wohi jiska gham-khwaar nahin hota
दिल हाये ! गुनाहों से बेज़ार नहीं होता
मग़लूब शहा ! नफ़्से बदकार नहीं होता
जो लाख करूँ कोशिश इस्लाह नहीं होती
पाकीज़ा गुनाहों से किरदार नहीं होता
गुनाहों की नहीं जाती है आदत या रसूलल्लाह !
तुम्ही अब कुछ करो माहे रिसालत या रसूलल्लाह !
में बचना चाहता हूँ हाये फिर भी बच नहीं पाटा
गुनाहों की पड़ी है ऐसी आदत या रसूलल्लाह !
लगा तकिया गुनाहों का पड़ा दिन रात रहता हूँ
मुझे अब ख्वाबे गफलत से जगादो या रसूलल्लाह
ये सांस की माला अब बस टूटने वाली है
दिल आह ! मगर अब भी बेदार नहीं होता
कोशिशें तो की बहोत मगर रहे नाकाम हम
आप चाहें तो अभी बेड़ा हमारा पार हो
अये रब के हबीब ! आओ , अये मेरे तबीब ! आओ
अच्छा ये गुनाहों का बीमार नहीं होता
आक़ा का गदा हो कर अत्तार तू गबराए
गबराए वही जिसका गमख्वार नहीं होता
मग़लूब शहा ! नफ़्से बदकार नहीं होता
जो लाख करूँ कोशिश इस्लाह नहीं होती
पाकीज़ा गुनाहों से किरदार नहीं होता
गुनाहों की नहीं जाती है आदत या रसूलल्लाह !
तुम्ही अब कुछ करो माहे रिसालत या रसूलल्लाह !
में बचना चाहता हूँ हाये फिर भी बच नहीं पाटा
गुनाहों की पड़ी है ऐसी आदत या रसूलल्लाह !
लगा तकिया गुनाहों का पड़ा दिन रात रहता हूँ
मुझे अब ख्वाबे गफलत से जगादो या रसूलल्लाह
ये सांस की माला अब बस टूटने वाली है
दिल आह ! मगर अब भी बेदार नहीं होता
कोशिशें तो की बहोत मगर रहे नाकाम हम
आप चाहें तो अभी बेड़ा हमारा पार हो
अये रब के हबीब ! आओ , अये मेरे तबीब ! आओ
अच्छा ये गुनाहों का बीमार नहीं होता
आक़ा का गदा हो कर अत्तार तू गबराए
गबराए वही जिसका गमख्वार नहीं होता