Ya Khuda charkh e Islam par taa abad
Mera taaj e shariat salamat rahe
Maslak e AlaHazrat salamat rahe
Maslak e AlaHazrat salamat rahe
Ae Bareily mera bagh e Jannat hai tu
Yani jalwa gahe Ala Hazrat hai tu
Bilyaqee(n) markaz e Ahlesunnat hai tu
Ye teri markaziyyat salamat rahe
Naara Faiz e Raza ka lagata rahoon
Najdiyon ke jigar ko jalata rahoon
Aur Kalam e Raza main sunata rahoon
Faiz e Ahmad Raza ta qayamat rahe
Ahl e Imaan tu kyun pareshan hai
Rehbari ko teri Kanzul Iman hai
Har qadam pe ye tera nigehbaan hai
Ya Khuda ye amanat salamat rahe
Roz e Mehshar agar mujh se puche khuda
Bol Aal e Rasool tu laya hai kiya
Pesh kardunga laya hoon Ahmed Raza
Ya Khuda ye amanat salamat rahe
Laakh jalte raheindushmanan e Raza
Kam na hongay kabhi madha khwan e Raza
Keh rahe hain sabhi aashiqan e Raza
Maslak e AlaHazrat salamat rahe
मस्लक-ए-आ'ला-हज़रत सलामत रहे
मस्लक-ए-आ'ला-हज़रत सलामत रहे
या ख़ुदा ! चर्ख़-ए-इस्लाम पर ता-अबद
मेरा ताज-ए-शरी'अत सलामत रहे
मस्लक-ए-आ'ला-हज़रत सलामत रहे
मस्लक-ए-आ'ला-हज़रत सलामत रहे
ऐ बरेली ! मेरा बाग़-ए-जन्नत है तू
या'नी जल्वा-गह-ए-आ'ला-हज़रत है तू
बिल-यक़ीं मर्कज़-ए-अहल-ए-सुन्नत है तू
ये तेरी मर्कज़िय्यत सलामत रहे
मस्लक-ए-आ'ला-हज़रत सलामत रहे
मस्लक-ए-आ'ला-हज़रत सलामत रहे
ना'रा फ़ैज़-ए-रज़ा का लगाता रहूँ
दुश्मनों के दिलों को जलाता रहूँ
और कलाम-ए-रज़ा मैं सुनाता रहूँ
फ़ैज़-ए-अहमद-रज़ा ता-क़यामत रहे
मस्लक-ए-आ'ला-हज़रत सलामत रहे
मस्लक-ए-आ'ला-हज़रत सलामत रहे
ऐ मुसलमान ! तू क्यूँ परेशान है
रहबरी को तेरी कंज़-उल-ईमान है
हर क़दम पर ये तेरा निगहबान है
चश्मा-ए-'इल्म-ओ-हिकमत सलामत रहे
मस्लक-ए-आ'ला-हज़रत सलामत रहे
मस्लक-ए-आ'ला-हज़रत सलामत रहे
रोज़-ए-महशर अगर मुझ से पूछे ख़ुदा
बोल आल-ए-रसूल तू लाया है क्या
'अर्ज़ कर दूँगा लाया हूँ अहमद रज़ा
या ख़ुदा ! ये अमानत सलामत रहे
मस्लक-ए-आ'ला-हज़रत सलामत रहे
मस्लक-ए-आ'ला-हज़रत सलामत रहे
लाख जलते रहें दुश्मनान-ए-रज़ा
कम न होंगे कभी मदह-ख़्वान-ए-रज़ा
कह रहे हैं सभी 'आशिक़ान-ए-रज़ा
फ़ैज़-ए-अहमद-रज़ा ता-क़यामत रहे
मस्लक-ए-आ'ला-हज़रत सलामत रहे
मस्लक-ए-आ'ला-हज़रत सलामत रहे