मालिक-ए-जहाँ, ने'मत-ए-ख़ुदा, आ गए नबी, आ गए नबी
बारहवीं का नूर दिल पे छा गया, आ गए नबी, आ गए नबी
नूर से सजा 'अर्श-ए-किब्रिया, आ गए नबी, आ गए नबी
फ़ानी-ए-हज़ीं का घर भी क़ुमक़ुमों से सज गया
आरज़ू है, झूम कर लबों पे आए ये सदा
क़ब्र में तुझे देख कर, शहा ! आ गए नबी, आ गए नबी
बारहवीं का नूर दिल पे छा गया, आ गए नबी, आ गए नबी
नूर से सजा 'अर्श-ए-किब्रिया, आ गए नबी, आ गए नबी
शायर:
मुहम्मद अश्फ़ाक़ अत्तारी
ना'त-ख़्वाँ:
मुहम्मद अश्फ़ाक़ अत्तारी
हाफ़िज़ ताहिर क़ादरी
ग़ुलाम मुस्तफ़ा क़ादरी
बारहवीं का नूर दिल पे छा गया / Barahwin Ka Noor Dil Pe Chha Gaya | Barwi Ka Noor Dil Pe Chha Gaya
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