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फूल भी मुस्कुराने लगा है, पत्तियां मुस्कुराने लगी हैं / Fool Bhi Muskurane Laga Hai, Pattiyan Muskurane Lagi Hain

फूल भी मुस्कुराने लगा है, पत्तियां मुस्कुराने लगी हैं
आ गई है बहारें चमन में, तितलियाँ मुस्कुराने लगी हैं

उनके क़दमों का ए'जाज़ है ये सूखे थन भर गए बकरियों के
पेड़ सूखा हरा हो गया और डालियाँ मुस्कुराने लगी हैं

फूल भी मुस्कुराने लगा है, पत्तियां मुस्कुराने लगी हैं

रहमते-हक़ बरसने लगी है, हर तरफ इन्क़िलाब आ गया है
उनकी आमद से बंज़र ज़मीं पर खेतियाँ मुस्कुराने लगी है

फूल भी मुस्कुराने लगा है, पत्तियां मुस्कुराने लगी हैं

देखो बेवा के घर को बसाया, मोमिनों की माँ उनको बनाया
देखो बेवा के हाथों में फिर से चूड़ियां मुस्कुराने लगी हैं

फूल भी मुस्कुराने लगा है, पत्तियां मुस्कुराने लगी हैं

ज़िंदा दरगोर करते थे लड़की, हो गए सारे इन्सान वहशी
सदक़ा-ए-मुस्तफ़ा है ऐ लोगो ! बेटियां मुस्कुराने लगी हैं

फूल भी मुस्कुराने लगा है, पत्तियां मुस्कुराने लगी हैं

शायर:
दिलबर शाही

नातख्वां:
दिलबर शाही

 

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