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फ़लक के नज़ारो ! ज़मीं की बहारो ! सब 'ईदें मनाओ, हुज़ूर आ गए हैं / Falak Ke Nazaaro ! Zameen Ki Bahaaro ! Sab Eiden Manaao, Huzoor Aa Gae Hain

falak ke nazaaro ! zamee.n ki bahaaro !
sab 'eide.n manaao, huzoor aa gae hai.n
uTho Gam ke maaro ! chalo be-sahaaro !
KHabar ye sunaao, huzoor aa gae hai.n

huzoor aa gae hai.n ! huzoor aa gae hai.n !
huzoor aa gae hai.n ! huzoor aa gae hai.n !

anokha niraala wo zee-shaan aaya
wo saare rasoolo.n ka sultaan aaya
are kaj-kulaaho ! are baadshaaho !
nigaahe.n jhukaao, huzoor aa gae hai.n

huzoor aa gae hai.n ! huzoor aa gae hai.n !
huzoor aa gae hai.n ! huzoor aa gae hai.n !

huaa chaar-soo rahmato.n ka basera
ujaala ujaala, sawera sawera
haleema ko pahunchi KHabar aamina ki
mere ghar me.n aao, huzoor aa gae hai.n

huzoor aa gae hai.n ! huzoor aa gae hai.n !
huzoor aa gae hai.n ! huzoor aa gae hai.n !

samaa.n hai sana-e-habeeb-e-KHuda ka
ye meelaad hai sarwar-e-ambiya ka
nabi ke gadaao ! sab ik doosre ko
gale se lagaao, huzoor aa gae hai.n

huzoor aa gae hai.n ! huzoor aa gae hai.n !
huzoor aa gae hai.n ! huzoor aa gae hai.n !

hawaao.n me.n jazbaat hai.n marhaba ke
fazaao.n me.n naGmaat salle 'alaa ke
duroodo.n ke kajre, salaamo.n ke tohfe
Gulaamo.n sajaao, huzoor aa gae hai.n

huzoor aa gae hai.n ! huzoor aa gae hai.n !
huzoor aa gae hai.n ! huzoor aa gae hai.n !

kahaa.n mai.n, Zahoori ! kahaa.n un ki naa'te.n !
karam hi karam hai ye din aur raate.n
jahaa.n pe bhi jaao, dilo.n ko jagaao
yahi kahte jaao, huzoor aa gae hai.n

huzoor aa gae hai.n ! huzoor aa gae hai.n !
huzoor aa gae hai.n ! huzoor aa gae hai.n !


Poet:

Muhammad Ali Zahoori Qasoori

Naat-Khwaan:

Milad Raza Qadri

 

फ़लक के नज़ारो ! ज़मीं की बहारो !
सब 'ईदें मनाओ, हुज़ूर आ गए हैं
उठो, ग़म के मारो ! चलो, बे-सहारो !
ख़बर ये सुनाओ, हुज़ूर आ गए हैं

हुज़ूर आ गए हैं ! हुज़ूर आ गए हैं !
हुज़ूर आ गए हैं ! हुज़ूर आ गए हैं !

अनोखा निराला वो ज़ी-शान आया
वो सारे रसूलों का सुल्तान आया
अरे कज-कुलाहो ! अरे बादशाहो !
निगाहें झुकाओ, हुज़ूर आ गए हैं

हुज़ूर आ गए हैं ! हुज़ूर आ गए हैं !
हुज़ूर आ गए हैं ! हुज़ूर आ गए हैं !

हुवा चार-सू रहमतों का बसेरा
उजाला उजाला, सवेरा सवेरा
हलीमा को पहुँची ख़बर आमिना की
मेरे घर में आओ, हुज़ूर आ गए हैं

हुज़ूर आ गए हैं ! हुज़ूर आ गए हैं !
हुज़ूर आ गए हैं ! हुज़ूर आ गए हैं !

समाँ है सना-ए-हबीब-ए-ख़ुदा का
ये मीलाद है सरवर-ए-अम्बिया का
नबी के गदाओ ! सब इक दूसरे को
गले से लगाओ, हुज़ूर आ गए हैं

हुज़ूर आ गए हैं ! हुज़ूर आ गए हैं !
हुज़ूर आ गए हैं ! हुज़ूर आ गए हैं !

हवाओं में जज़्बात हैं मरहबा के
फ़ज़ाओं में नग़्मात सल्ले 'अला के
दुरूदों के कजरे, सलामों के तोहफ़े
ग़ुलामों सजाओ, हुज़ूर आ गए हैं

हुज़ूर आ गए हैं ! हुज़ूर आ गए हैं !
हुज़ूर आ गए हैं ! हुज़ूर आ गए हैं !

कहाँ मैं, ज़हूरी ! कहाँ उन की ना'तें !
करम ही करम है ये दिन और रातें
जहाँ पे भी जाओ, दिलोँ को जगाओ
यही कहते जाओ, हुज़ूर आ गए हैं

हुज़ूर आ गए हैं ! हुज़ूर आ गए हैं !
हुज़ूर आ गए हैं ! हुज़ूर आ गए हैं !


शायर:

मुहम्मद अली ज़हूरी क़सूरी

ना'त-ख़्वाँ:

मीलाद रज़ा क़ादरी

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