कोई गली ऐसी नहीं जो न सजी हो
कोई भी घर ऐसा नहीं जो न सजा हो
महफ़िलें दुरूद की, न्याज़ें नबी पाक की
शरबत की सबीलें, मौला ने अता की
नबी नबी नबी नबी नबी विर्द रहेगा
मीलाद रहेगा, मीलाद रहेगा
मीलाद रहेगा, मीलाद रहेगा
आक़ा की मोहब्बत में घर-बार सजाएं
सरकार का मीलाद चलो ! मिल के मनाएं
जब तलक दम में है दम, मुझे मौला की क़सम
मेरी नस्लों में चलेगा, ये रुका है न रुकेगा
मीलाद रहेगा, मीलाद रहेगा
मीलाद रहेगा, मीलाद रहेगा
मीलाद रहेगा, मीलाद रहेगा
सदाएं दुरूदों की आती रहेंगी
जिन्हें सुन के दिल शाद होता रहेगा
ख़ुदा अहल-ए-सुन्नत को आबाद रखे
मुहम्मद का मीलाद होता रहेगा
आए मेरे मुस्तफ़ा ! मरहबा या मुस्तफ़ा !
आज है सब की सदा ! मरहबा या मुस्तफ़ा !
बादशाह-ए-दो-जहाँ ! मरहबा या मुस्तफ़ा !
तुम सा कोई है कहाँ ! मरहबा या मुस्तफ़ा !
अस्सलाम ए जान-ए-जाँ ! मरहबा या मुस्तफ़ा !
कह रहे हैं इंस-ओ-जाँ ! मरहबा या मुस्तफ़ा !
सारा ज़माना कहे, आज कोई ना रुके
साँस चले या रुके, नारा ये लगता रहे
चार यारों की सदा ! मरहबा या मुस्तफ़ा !
अहल-ए-बैत ने कहा ! मरहबा या मुस्तफ़ा !
ग़ौस-ए-पाक ने कहा ! मरहबा या मुस्तफ़ा !
मेरे रज़ा ने कहा ! मरहबा या मुस्तफ़ा !
मेरे मुर्शिद ने कहा ! मरहबा या मुस्तफ़ा !
गली-गली, नगर-नगर नारा लगेगा
मीलाद रहेगा, मीलाद रहेगा
मीलाद रहेगा, मीलाद रहेगा
इस्लाम का पैग़ाम सदा ज़िंदा रहेगा
सरकार तेरा नाम सदा ज़िंदा रहेगा
जब तक रहेंगे दुनिया में उश्शाक़ सलामत
मीलाद का ये काम सदा ज़िंदा रहेगा
कोई गली ऐसी नहीं जो न सजी हो
कोई भी घर ऐसा नहीं जो न सजा हो
महफ़िलें दुरूद की, न्याज़ें नबी पाक की
शरबत की सबीलें, मौला ने अता की
बचपन से मैं मीलाद मनाता ही रहा हूँ
घर-बार मुहल्ले को सजाता ही रहा हूँ
में इस से जुदा रह नहीं सकता मेरे यारो !
सरकार का परचम में लगाता ही रहा हूँ
सरकार का मीलाद चलो ! मिल के मनाएं
सरकार का मीलाद चलो ! मिल के मनाएं
या नबी सलाम अलैक
या रसूल सलाम अलैक
सलवातुल्लाह अलैक
मीलाद के सदक़े से ग़ुलामों पे है रहमत
मीलादियों की देखो जहां भर में है इज़्ज़त
क़ब्रें खुलीं तो देख हैरान है साइंस
आक़ा के ग़ुलामों के तो चहरे भी सलामत
मीलाद रहेगा, मीलाद रहेगा
मीलाद रहेगा, मीलाद रहेगा
हो हिन्द में ख़्वाजा के सभी चाहने वाले
या पाक वतन में मेरे दाता के दीवाने
मीलाद तो हर देश में होता ही रहा है
इस बार ये जाएगा सितारों से भी आगे
आए मेरे मुस्तफ़ा ! मरहबा या मुस्तफ़ा !
आज है सब की सदा ! मरहबा या मुस्तफ़ा !
बादशाह-ए-दो-जहाँ ! मरहबा या मुस्तफ़ा !
तुम सा कोई है कहाँ ! मरहबा या मुस्तफ़ा !
अस्सलाम ए जान-ए-जाँ ! मरहबा या मुस्तफ़ा !
कह रहे हैं इंस-ओ-जाँ ! मरहबा या मुस्तफ़ा !
सारा ज़माना कहे, आज कोई ना रुके
साँस चले या रुके, नारा ये लगता रहे
चार यारों की सदा ! मरहबा या मुस्तफ़ा !
अहल-ए-बैत ने कहा ! मरहबा या मुस्तफ़ा !
ग़ौस-ए-पाक ने कहा ! मरहबा या मुस्तफ़ा !
मेरे रज़ा ने कहा ! मरहबा या मुस्तफ़ा !
मेरे मुर्शिद ने कहा ! मरहबा या मुस्तफ़ा !
गली-गली, नगर-नगर नारा लगेगा
मीलाद रहेगा, मीलाद रहेगा
मीलाद रहेगा, मीलाद रहेगा
बच्चों को मुहम्मद की ग़ुलामी का बताना
आक़ा की मोहब्बत इन्हें गुट्टी में पिलाना
तुम आल-ओ-सहाबा के फ़ज़ाइल भी सुना कर
आशिक़ बना रहे हो तो सुन्नी ही बनाना
कोई गली ऐसी नहीं जो न सजी हो
कोई भी घर ऐसा नहीं जो न सजा हो
महफ़िलें दुरूद की, न्याज़ें नबी पाक की
शरबत की सबीलें, मौला ने अता की
मीलाद है ईमान मेरा, क्यूँ न मनाऊँ !
महफ़िल दुरूद-ए-पाक की मैं क्यूँ न सजाऊँ !
मीलाद के मुन्किर से मेरा कैसा ता'लुक़
रिस्ता नबी के प्यारे ग़ुलामों से निभाऊँ
सरकार का मीलाद चलो ! मिल के मनाएं
सरकार का मीलाद चलो ! मिल के मनाएं
मीलाद रहेगा, मीलाद रहेगा
मीलाद रहेगा, मीलाद रहेगा
नामूस-ए-सहाबा के अलमदार रहेंगे
अज़्वाज-ए-मुक़द्दस नमक-ख़ार रहेंगे
हम से न होंगी बैअतें दस्त-ए-यज़ीद पर
हम आल-ए-मुहम्मद के वफ़ादार रहेंगे
मीलाद रहेगा, मीलाद रहेगा
मीलाद रहेगा, मीलाद रहेगा
अनवार की बरसात है, रहमत की झड़ी है
ये आमेना के लाल के आने की घड़ी है
शरबत की सबीलें, कहीं सरकार का लंगर
खाएंगे उजागर के ये मीलाद-ए-नबी है
कोई गली ऐसी नहीं जो न सजी हो
कोई भी घर ऐसा नहीं जो न सजा हो
महफ़िलें दुरूद की, न्याज़ें नबी पाक की
शरबत की सबीलें, मौला ने अता की
शायर:
अल्लामा निसार अली उजागर
नातख्वां:
हाफ़िज़ ताहिर क़ादरी और हाफ़िज़ अहसन क़ादरी