मरहबा, मरहबा, मरहबा, मरहबा
या नबी शम्सुद्दुह़ा, या नबी बदरुद्दुजा
या नबी ख़ैरुलवरा, या नबी या नबी
या नबी, या नबी, या नबी, या नबी
मरहबा ए जाने-जानां, जाने-ईमां या नबी
मरहबा महबूबे-यज़दां, शाहे-ख़ूबां या नबी
आप आए रोशनी फ़ैली, अँधेरा छट गया
मरहबा सद मरहबा ए मेहरे-ताबां या नबी
मरहबा, मरहबा, मरहबा, मरहबा
मरहबा ए जाने-जानां, जाने-ईमां या नबी
बहरो-बर, शम्सो-क़मर, हूरों मलक, जिन्नो-बशर
दो-जहां है आप ही के ज़ेरे-एहसां या नबी
मरहबा ए जाने-जानां, जाने-ईमां या नबी
आप की आमद का सदक़ा दोनों आलम पा गए
हम गदाओं का भी भर दे आज दामां या नबी
मरहबा, मरहबा, मरहबा, मरहबा
मरहबा ए जाने-जानां, जाने-ईमां या नबी
सरकार जेया सोहणा, आया ए न आणा ए
ना रब ने बणाया ए, ना रब ने बनाणा ए
हो हमारी क़ब्र रोशन, हम शबे-मीलाद में
आप की उल्फ़त में करते हैं चरागां या नबी
मरहबा, मरहबा, मरहबा, मरहबा
मरहबा ए जाने-जानां, जाने-ईमां या नबी
नसीब चमके हैं फर्शियों के, के अर्श के चाँद आ रहे हैं
झलक से जिस की फ़लक है रोशन, वो शम्स तशरीफ़ ला रहे हैं
निसार तेरी चहल-पहल पर, हज़ारों ईदें रबीउल-अव्वल
सिवाए-इब्लीस के जहां में सभी तो ख़ुशियाँ मना रहे हैं
या नबी शम्सुद्दुह़ा, या नबी बदरुद्दुजा
या नबी ख़ैरुलवरा, या नबी या नबी