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ताजदार-ए-हरम ! हो निगाह-ए-करम / Tajdar-e-Haram ! Ho Nigah-e-Karam

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Kismat mein meri chain say jeena likh day 
Dube na kabhi mera safeena likh day 
Jannat bhi bahot khoob magar mere liye 
Aye Katib e Taqdeer, madina likh day 
Tajdar e haram, hoo nigah e karam 
Hum ghareebon kay din bhi sanwar jayein gay 

Tajdar e haram, ho nigaah e karam 
Hamiy e baikasan, kiya kahe ga jahan 
App kay dar say khali agar jayein gay. 
Tajdar e haram, nigah e karam!! 
Tajdar e haram, karam karam!! 

Chashm e rahmat ba khusha sooh e malandaz e nazar 
Aie madani la kabi hashmi o muttalabi… 
Tajdar e haram, ho nigaah e karam. 
Tajdar e haram, ho nigaah e karam. 
Kya tumse kahoon aie Rab kay kunwar 
Tum janat ho man ki battiyaan 
Dar furqat toh aie ummi laqab 
Kate na katath hai ab ratiyaan 
Turi preet mein sudh bhud sab bisri 
Kab tak ye rahegi be khabri 
Daah e ka pigan duzdi da nazar 
Kabhi sun bhi toh lo humri batiyaan 
Tajdar e haram, ho nigaah e karam. 
Tajdar e haram, ho nigaah e karam. 

Koi apna nahi gham kay mare hain hum 
Aap kay dar pay faryaad laye hain hum 
Ho Nigah e karam, nigah e karam 
Ho Nigah e karam, warna chokhat pe hum 
Aap ka naam lay lay kay marjayein gay 
Tajdar e haram, nigah e karam!! 
Tajdar e haram, karam karam!! 

Maikasho aao aao madine chalein 
Chashm e sakiye kosar say pinay chalein 
Yaad rakho agar, uth gayi ik nazar 
Jitnay khali hain sab jaam bhar jayein gay. 
Tajdar e haram, nigah e karam!! 
Tajdar e haram, karam karam!! 

Khof e toofan hai, bijliyoon ka hai dar 
Sakht mushkil hai aaqa kidhar jayein hum 
Ap hi gar na lein gay, hamari khabar 
Hum museebat kay mare kidhar jayein gay 
Tajdar e haram, hoo nigah e karam 
Hum ghareebon kay din bhi sanwar jayein gay 
Tajdar e haram, ho nigaah e karam 
Tajdar e haram, nigah e karam!! 
Tajdar e haram, karam karam!! 
Tajdar e haram… 

 

 

क़िस्मत में मेरी चैन से जीना लिख दे 
डूबे ना कभी मेरा सफ़ीना लिख दे 
जन्नत भी गँवारा है मगर मेरे लिए 
ऐ कातिब-ए-तक़दीर मदीना लिख दे 

ताजदार-ए-हरम 
ताजदार-ए-हरम हो निगाह-ए-करम 
हम गरीबों के दिन भी संवर जाएंगे 
हामी-ए बे-कसां क्या कहेगा जहां 
आपके दर से खाली अगर जाएँगे 
ताजदार-ए-हरम 

कोई अपना नहीं गम के मारे हैं हम 
आपके दर पे फ़रियाद लाएँ हैं हम 
हो निगाह-ए-करम वरना चौखट पे हम 
आपका नाम ले ले के मर जाएँगे 

क्या तुमसे कहूँ ऐ रब के कुँवर 
तुम जानते हो मन की बतियाँ 
दार फुरक़त ई तो आये उम्मी लक़ब 
काटे ना कटे हैं अब रतियाँ 
तोरी प्रीत में सुध बुध सब बिसरी 
कब तक रहेगी ये बेखबरी 
गाहे बेफ़िगन दुज़दीदाह नज़र 
कभी सुन भी तो लो हमारी बतियाँ 
आपके दर से कोई ना खाली गया 
अपने दामन को भर के सवाली गया 
हो हबीब-ए-हज़ीन 
हो हबीब-ए-हज़ीन पर भी आक़ा नज़र 
वरना औराक़ ए हस्ती बिखर जाएँगे 
ताजदार-ए-हरम... 

मैकशों आओ आओ मदीने चलें 
इसी महीने चलें, आओ मदीने चलें 
तजल्लियों की अजब है फ़िज़ा मदीने में 
निगाहें शौक़ की हैं इंतेहां मदीने में 
ग़म-ए-हयात ना खौफ-ए-क़ज़ा मदीने में 
नमाज़-ए-इश्क़ करेंगे अदा मदीने में 
बराह-ए-रास है राह-ए-खुदा मदीने में 
आओ मदीने चलें, इसी महीने चलें 
मैकशों आओ आओ मदीने चलें 
दस्त-ए-साक़ी ये कौसर से पीने चलें 
याद रखो अगर, उठ गई इक नज़र 
जितने खाली हैं सब जाम भर जाएँगे 
वो नज़र 
ताजदार-ए-हरम... 

खौफ़-ए-तूफ़ान है बिजलियों का है डर 
सख़्त मुश्किल है आक़ा किधर जाएँ हम 
आप ही गर न लेंगे हमारी खबर 
हम मुसीबत के मारे किधर जाएँगे 
ताजदार-ए-हरम 
या मुस्तफ़ा या मुजतबा इरहम लना इरहम लना 
दस्त-ए हमह बेचारा-रा दमाँ तो-ई दमाँ तो-ई 
मन आसियां मन आजिज़म मन बे-कसम हाल-ए-मेरा 
पुरसं तो-ई पुरसं तो-ई 
ऐ मुश्क-बेद ज़ुम्बर फ़िशां 
पैक-ए-नसीम ए सुबह दम 
ऐ चारहगर ईसा नफ़स 
ऐ मूनस ए बीमार-ए-ग़म 
ऐ क़ासिद ए फुरकंदपह 
तुझको उसी गुल की कसम 
इन नलती या री अस-सबा 
यौमन इला अर्द इल-हरम 
बल्लिघ सलामी रौदतन 
फी अन-नबी अल मोहतरम 
ताजदार-ए-हरम... 

 

 

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