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या नबी ! नज़र-ए-करम फ़रमाना, ए हसनैन के नाना ! / Ya Nabi Nazr-e-Karam Farmaana, Ai Hasnain Ke Naana !

या नबी ! नज़र-ए-करम फ़रमाना
ए हसनैन के नाना ! ए हसनैन के नाना !
ज़हरा पाक के सदक़े हम को तयबा में बुलवाना
ए हसनैन के नाना ! ए हसनैन के नाना !

आप के दर का हूँ मैं भिकारी, आप हैं मेरे दाता
सारे रिश्ते-नातों से है प्यारा अपना नाता
आप तो हैं, आता है जिन को सब की लाज निभाना

ए हसनैन के नाना ! ए हसनैन के नाना !
ए हसनैन के नाना ! ए हसनैन के नाना !


बे-साया हैं लेकिन दो-जग पर है आप का साया
अर्श-ए-मुअ'ल्ला बना मोहल्ला, दीद को रब ने बुलाया
हश्र तलक न होगा किसी का ऐसा आना-जाना

ए हसनैन के नाना ! ए हसनैन के नाना !
ए हसनैन के नाना ! ए हसनैन के नाना !


सज गई है मीलाद की महफ़िल, क्या है ख़ूब नज़ारा !
कैफ़-ओ-मस्ती में डूबा है देखो आ'लम सारा
ढूँढ रही है आप की रहमत बख़्शिश का बहाना

ए हसनैन के नाना ! ए हसनैन के नाना !
ए हसनैन के नाना ! ए हसनैन के नाना !


निस्बत का फ़ैज़ान है देखो, ख़ादिम-ए-ग़ौस-ए-जली हूँ
करता है मुझ पे नाज़ ज़माना, मैं औसाफ़-ए-अली हूँ
आप की आल के दर का सग हूँ, साहिल हूँ पुराना

ए हसनैन के नाना ! ए हसनैन के नाना !
ए हसनैन के नाना ! ए हसनैन के नाना !



शायर:
औसाफ़ अली

नात-ख़्वाँ:
मिलाद रज़ा क़ादरी
 
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