ab to bas ek hi dhun hai ki madina dekhu.n ab to bas ek hi dhun hai ki madina dekhu.n
munawwar meri aankho.n ko, mere shamsudduha ! kar de.n Gamo.n ki dhoop me.n wo saaya-e-zulf-e-dota kar de.n
फिर के गली गली तबाह ठोकरें सब की खाए क्यूं दिल को जो अ़क़्ल दे ख़ुदा तेरी गली से जाए क्यूं रुख़्सत-ए-क़ाफ़िला का शोर ग़श से हमें उठाए क्यूं सोते हैं उन के साए में कोई हमें जगाए क्यूं बार न थे ह़बीब को पालते ही ग़रीब को रोएं जो अब नसीब को चैन कहो गंवाए क्यूं
mustafa-e-zaat-e-yakta aap hai.n yak ne jis ko yak banaaya, aap hai.n
Aaqa aa Jaiye Aaqa aa Jaiye Aaqa aa Jaiye Aaqa aa Jaiye Behre Deedar Mushtaq hai Har Nazar Donon Aalam ke Sarkar Aa Jaieye Aaqa aa Jaiye Aaqa aa Jaiye Aaqa aa Jaiye Aaqa aa Jaiye
गुलशन गुलशन, सहरा सहरा, बात हुई मशहूर माह-ए-रबिउन्नूर ने बख़्शा रहमत का दस्तूर आया रबिउन्नूर, आया रबिउन्नूर आया रबिउन्नूर, आया रबिउन्नूर प्यारे नबी का नूर चला जब आदम की पेशानी से पुश्त-ए-ख़लीली तक पहुँचा है रहमत की तुग़्यानी से आदम ता ईसा कहते हैं आया रब का नूर
मरहबा मुस्तफ़ा ! मरहबा मुस्तफ़ा ! मरहबा मुस्तफ़ा ! मरहबा मुस्तफ़ा ! मरहबा मरहबा मरहबा मरहबा आए सरकार आए, मेरे दिलदार आए मेरे ग़म-ख़्वार आए, मेरे लजपाल आए आज जश्न-ए-विलादत है सरकार का हम मनाएंगे मिल कर ब-हर-हाल भी मौसम-ए-पुर-बहाराँ महकने लगा और लाज़ा हुए दिल के अहवाल भी
तू नाम-ए-नबी को चूम, तू इश्क़-ए-नबी में घूम है गली गली में धूम, तू नारा लगा के झूम झूमती है ये ज़मीं झूमता है आसमां मरहबा मरहबा ! आ गए रसूलुल्लाह मरहबा मरहबा ! आ गए रसूलुल्लाह
कोई गली ऐसी नहीं जो न सजी हो कोई भी घर ऐसा नहीं जो न सजा हो महफ़िलें दुरूद की, न्याज़ें नबी पाक की शरबत की सबीलें, मौला ने अता की नबी नबी नबी नबी नबी विर्द रहेगा मीलाद रहेगा, मीलाद रहेगा मीलाद रहेगा, मीलाद रहेगा
ये चाँद रबीउल-अव्वल का चमकाता है, चमकाएगा ईमान-ओ-अक़ीदत का जल्वा दिखलाता है, दिखलाएगा
Balaghal 'Ula Bi Kamalihi, Kasha Fadduja Bijamalihi Hasunat Jami'u Khisaalihi Sallu 'Alayhi Wa Aalihi Wo Kamaal-e-husn-e-huzoor Hay, Kay Gumaan-e-naqs Jahaan Naheen Yay-hee Phool Khaar Say Duur Hay, Yay-hee Sham'a Hai Kay Dhu-aan Naheen